Saturday, July 2, 2011

सीख

वर्षा आई, बंदर भीगा,
लगा काँपने थर थर थर ।
बयां घोंसले से यूं बोली ­
भैया क्यों न बनाते घर ।।

गुस्से में भर बंदर कूदा,
पास घोंसले के आया ।
तार तार कर दिया घोंसला
बड़े जोर से चिल्लाया ।।

बेघर की हो भीगी चिड़िया,
दे बन्दर को सीख भली ।
मूरख को भी क्या समझाना,
यही सोच लाचार चली ।।

सीख उसे दो जो समझे भी,
जिसे जरूरत हो भरपूर ।
नादानों से दूरी अच्छी,
सदा कहावत है मशहूर ।।

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर बाल कविता है।

    डा० जगदीश व्योम

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