नभ के तारे कई देखकर
एक दिन बबलू बोला ।
अंतरिक्ष की सैर करें माँ
ले आ उड़न खटोला ।।
कितने प्यारे लगते हैं
ये आसमान के तारे ।
कौतूहल पैदा करते हैं
मन में रोज हमारे ।।
झिलमिल झिलमिल करते रहते
हर दिन हमें इशारे ।
रोज भेज देते हैं हम तक
किरणों के हरकारे ।।
कोई ग्रह तो होगा ऐसा
जिस पर होगी बस्ती ।
माँ, बच्चों के साथ वहाँ
मैं खूब करुँगा मस्ती ।।
वहाँ नये बच्चों से मिलकर
कितना सुख पाऊँगा ।
नये खेल सीखूँगा मैं,
कुछ उनको सिखलाऊँगा
एक दिन बबलू बोला ।
अंतरिक्ष की सैर करें माँ
ले आ उड़न खटोला ।।
कितने प्यारे लगते हैं
ये आसमान के तारे ।
कौतूहल पैदा करते हैं
मन में रोज हमारे ।।
झिलमिल झिलमिल करते रहते
हर दिन हमें इशारे ।
रोज भेज देते हैं हम तक
किरणों के हरकारे ।।
कोई ग्रह तो होगा ऐसा
जिस पर होगी बस्ती ।
माँ, बच्चों के साथ वहाँ
मैं खूब करुँगा मस्ती ।।
वहाँ नये बच्चों से मिलकर
कितना सुख पाऊँगा ।
नये खेल सीखूँगा मैं,
कुछ उनको सिखलाऊँगा
बहुत अच्छा लगा आपका यह ब्लॉग
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