Saturday, July 2, 2011

अंतरिक्ष की सैर

नभ के तारे कई देखकर
एक दिन बबलू बोला ।
अंतरिक्ष की सैर करें माँ
ले आ उड़न खटोला ।।


कितने प्यारे लगते हैं
ये आसमान के तारे ।
कौतूहल पैदा करते हैं
मन में रोज हमारे ।।




झिलमिल झिलमिल करते रहते
हर दिन हमें इशारे ।
रोज भेज देते हैं हम तक
किरणों के हरकारे ।।

कोई ग्रह तो होगा ऐसा
जिस पर होगी बस्ती ।
माँ, बच्चों के साथ वहाँ
मैं खूब करुँगा मस्ती ।।

वहाँ नये बच्चों से मिलकर
कितना सुख पाऊँगा ।
नये खेल सीखूँगा मैं,
कुछ उनको सिखलाऊँगा

1 comment:

  1. बहुत अच्छा लगा आपका यह ब्लॉग

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