कितनी प्यारी बूढ़ी नानी
हमें कहानी कहती है
जाते हम छुट्टी के दिन में
दूर गाँव वह रहती है।
उनके आँगन लगे हुए हैं
तुलसी और अमरूद, अनार
और पास में शिव का मंदिर
पूजा करतीं घंटे चार।
हमको देती दूध, मिठाई
पूड़ी खीर बनाती हैं
कभी शाम को नानी हमको
खेत दिखाकर लाती हैं।
कभी कभी हमको समझातीं
जब हम करते नादानी
पैसे देकर चीज दिलातीं
कितनी प्यारी हैं नानी।।
हमें कहानी कहती है
जाते हम छुट्टी के दिन में
दूर गाँव वह रहती है।
उनके आँगन लगे हुए हैं
तुलसी और अमरूद, अनार
और पास में शिव का मंदिर
पूजा करतीं घंटे चार।
हमको देती दूध, मिठाई
पूड़ी खीर बनाती हैं
कभी शाम को नानी हमको
खेत दिखाकर लाती हैं।
कभी कभी हमको समझातीं
जब हम करते नादानी
पैसे देकर चीज दिलातीं
कितनी प्यारी हैं नानी।।
No comments:
Post a Comment